7 साल पहले चाइनीज मांझे से गई थी बेटी की जान, फिर किसी बेटी जान जा जाए इसलिए लड़ रहे केसन्याय मिलने पर ही विसर्जित करेंगे अस्थि कलश, चंचल का खुला खत दे रहा संदेश

‘हैलो मम्मी-पापा’  दीदी और भाई तुम लोग कैसे हो? फिर वही मकर संक्रांति आ रही है। याद है ना, इसी दिन गवर्नमेंट और चाइनीज मांझा बेचने वालों के कारण मुझे सिर्फ 7 साल की उम्र में आप सबको छोड़कर दूसरी दुनिया में जाना पड़ा था। आपको मेरी याद तो बहुत आती होगी। मुझे भी आप लोगों की बहुत याद आती है। आप तो फिर भी चार लोग हो परिवार में, लेकिन मैं तो यहां अकेली हूं। हां, इस परीलोक में कुछ परियां तो हैं, लेकिन वे बहन और भाई की कमी पूरी नहीं कर पाती हैं। मुझे पता है, कि आज तक चाइनीज मांझा बिकना बंद नहीं हुआ है। अभी कुछ दिनों पहले एक बच्चे ने अपनी जान चाइनीज मांझे के कारण गंवाई थी और न ही आज तक मेरे हत्यारों पर कोई कार्रवाई हुई है। पापा आप तो केस लड़ रहे हैं और कोर्ट की तारीखों में जाते हैं, लेकिन दूसरी तरफ से तो कोई कोर्ट आता ही नहीं। मुझे पता है, कि मेरे अस्थि कलश के साथ मैं आप लोगों के बीच तो हूं, लेकिन क्या ये अस्थियां कभी गंगाजी में प्रवाह नहीं की जाएंगी। क्योंकि पापा ने तो कसम खाई है ना, कि जब तक मुझे न्याय नहीं मिलेगा और चाइनीज मांझा बिकना बंद नहीं होगा, तब तक वे कलश को गंगाजी नहीं लेकर जाएंगे।



गौरतलब है कि टोंक रोड निवासी प्रमोद किशोर दाधीच की 7 साल की बेटी चंचल की 14 जनवरी, 2014 को महावीर नगर के पास चाइनीज मांझा गर्दन में उलझने से मृत्यु हो गई थी। परिवार दोपहर को संक्रांति को भोजन करके घर लौट रहा था और चंचल बाइक पर आगे बैठी थी। अचानक चाइनीज मांझा आया और उसकी गर्दन काटना हुआ निकल गया। उसे हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन वे बच न सकी। पिता और मां सीता देवी ने गवर्नमेंट पर चाइनीज मांझा बिकने देने और लापरवाही का केस दर्ज कराया था, जिस पर आज तक न्याय का इंतजार है। प्रमोद किशाेर ने सकंल्प लिया था, कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा वे चंचल की अस्थियों को विसर्जित नहीं करेंगे। आज भी अस्थि कलश घर में रखा है।